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राय प्रवीन "ओरछा की कोकिला"

"ओरछा की कोकिला"    राय प्रवीण डॉ.रवीन्द्र पस्तोर विवेक का मर जाना  राय प्रवीन के जाने के बाद महाराज बहुत आत्म ग्लानि से भर गए। हालाँकि उन्होंने राय प्रवीण से विधिवत शादी नहीं की थी लेकिन वह यह जानते थे कि उन्होंने गंदर्भ विवाह किया था। समय के साथ - साथ पुनिया की उम्र व ज्ञान दोनों में अभूतपूर्व उन्नति हुई। जैसे जंगल में जब फूल खिलता है तो उसकी खुशबु चारों ओर फ़ैल जाती है वैसे ही जब पुनिया जवान हुई तो उसके रूप, नृत्य, गायन व काव्य की चर्चा सारे इलाके के रजबाड़ों, राज दरबारों व कला प्रेमियों में होने लगी। लेकिन राज्य रक्षिता होने से किसी की कुछ कहने की हिम्मत नहीं होती थी।  महाराज को याद आया कि गणगौर के  सांस्कृतिक अनुष्ठान में पुनिया को विशिष्ट नज़रों से देखा था। उन्हें लगा कि यह उसकी की उपस्थिति का जश्न मना रहे हो। पुनिया की कोमल कमनीय देह नव पल्ल्वित लता जैसी लग रही थी और सहायक उपकरण और आभूषण उसकी अद्भुत सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे ।  उन्हें याद आया कि सोलह श्रृंगार के सोलह आभूषण, चंद्रमा के सोलह चरणों से संबंधित हैं, जो  पुनिया को दुल्हन की तर...