मोक्ष
इल्तुमिश का मोक्ष बालक के स्वप्न मैंने समीर को डेटिंग करना जब शुरू किया तब हम लोग आठवीं क्लास में थे। समीर और मैं एक साथ स्कूल जाते, क्लास में साथ बैठते, साथ लंच करते तथा साथ घर लौटते। हम दोनों एक ही कॉलोनी में पड़ोसी थे। हमारे परिवारों में आपस में दोस्ती थी। तो किसी को समीर के साथ होने से परेशानी नहीं थी। हालांकि समीर पढ़ने में औसत दर्जे का था। जब कि मैं हमेशा अपनी क्लास में अब्बल आने बाली थी। मैं समीर को उसकी पढ़ाई में मदद भी करती। तो इस बहाने मुझे समीर के साथ वक्त बिताने का मौका मिल जाता, और हम दोनों का होमवर्क भी हो जाता था। मैंने धीरे - धीरे यह जाना कि समीर को रात में अकेले सोने में दिक्कत होती है। शुरू में मैंने नोटिश किया कि कभी - कभी समीर के पापा उसे कहीं एक दो दिन के लिये ले जाते। समीर की मम्मी से पूछने पर वह कोई सीधा उत्तर नहीं देती। मैं भी संकोच के मारे ज्यादा नहीं पूछ पाती थी। समय के साथ- साथ मैंने इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया। जब हम दोनों ने आई आई टी दिल्ली में एडमिशन लिया और मैं समीर के साथ उसकी कार से जाने लगी तब कभी - क...