Final ओरछा की कोकिला : राय प्रवीन
ओरछा की कोकिला : राय प्रवीन घुमक्क्ड़ी मैं आनन्द मिश्रा, मिश्रा परिवार का सबसे छोटा बेटा हूँ। मुझे अपने परिवार में ‘ डिफेक्टिव पीस ' समझा जाता है। पिताजी ने मुझे सुधारने में अपनी आधी जवानी खपा दी, लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात। ‘मैं ठहरा कुत्ते की पूँछ, जो टेढ़ी की टेढ़ी।’ आनन्द मिश्रा नारायण और सुधा मूर्ति के बारे में सोचने लगा। मेरे आदर्श पुरुष हैं नारायण मूर्ति, हाँ, आप ठीक समझे, इंफोसिस वाले। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री के ससुर। क्या अद्भुत व्यक्तित्व ! कहते हैं कि एक बार वे पीठ पर अपना झोला [बैक पैक] ले कर यूरोप की सैर पर निकल पड़े। पास में पैसे थे नहीं, पर घूमने का था जुनून। सो हुआ यूं कि आवारागर्दी करते-करते उन्हें इंफोसिस कंपनी का विचार सूझ गया। लोगों के बीच में कहा जाता है कि पैसा तो हवा में उड़ रहा है, बस उसे पकड़ने के लिए एक 'जाल' चाहिए। सो, उन्होंने वह जाल बना लिया। अपनी पत्नी से दस हज़ार रुपये उधार लिए। नारायण मूर्ति को देखकर शायद आप कभी यह अंदाज़ा भी न लगा सके कि वे भी कभी किसी के प्रेम में गिरफ्त हुए होंगे। दोनों की प्रेम कहानी किसी फ़िल्मी दा...
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