भर्तहरि -दीपक सेन
भर्तहरि -दीपक सेन भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शहर होने के साथ ही इसका शुमार भारत के नगरीय सभ्यता वाले चुनिंदा प्राचीन नगरों में होता है। इस वक्त के शहर ही प्राचीन काल में नगर कहलाये जाते थे। जिस नगर के बारे में बात कर रहे हैं, उसका उल्लेख स्कन्द पुराण में बाकायदा एक खंड के रूप में मिलता है। सनातन धर्म के त्रिदेव का संबंध इस नगर से है। इसी नगर में महर्षि संदीपनी का आश्रम भी है, जिसमें बलराम, श्रीकृष्ण और सुदामा ने शिक्षा ग्रहण की थी। वहीं इस शहर के नगर देवता सृष्टि के निर्माता भगवान शिव स्वयं हों तो फिर इस नगर की तरफ लोगों का खिंचाव लोगों के बीच खुद ब खुद होना स्वाभाविक हो जाता है। इसके साथ ही भगवान राम का संबंध भी इस शहर से जुड़ा है, क्योंकि ऐसी जनश्रुति है कि इस नगर में भगवान राम ने राजा दशरथ का पिंड दान क्षिप्रा नदी में किया था। इसी कारण महाराज दशरथ के पिंड दान करने वाले घाट का नाम रामघाट पड़ गया। यह नगर के राजा विक्रमादित्य चंद्रगुप्त द्वितीय की राजधानी थी जिनके दरबार में नौ रत्न हुआ करते थे। इसमें महान संस्कृत के लेखक कालिदास और खगोलविद् वराहमिहिर का नाम प्रमुखत...